34 वर्षीय युवक का पार्थिव शरीर पहुंचा भारत, 1 जून को दुबई में हुई थी मौत

दुबई के प्रतिष्ठित व्यवसायी और दुनिया भर में अपने अनूठे सेवा कार्यों के लिए जाने जाने वाले सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक डॉ. एस. पी. सिंह ओबेरॉय के प्रयासों से फतेहगढ़ साहिब जिले के प्रसिद्ध शहर मंडी गोबिंदगढ़ के पास गांव दरहेड़ी के रहने वाले 34 वर्षीय सुखविंदर सिंह पुत्र हरनेक सिंह का पार्थिव शरीर आज दुबई से श्री गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे अमृतसर पहुंचा।

इस संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. एस.पी. दो मासूम बच्चों के पिता सुखविंदर सिंह अन्य युवकों की तरह बेहतर भविष्य के सपने लेकर करीब दो साल पहले दुबई आए थे और एक जून को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। डॉ. ओबेरॉय ने बताया कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के संबंध में मृतक के गांव के सरपंच गुरप्रीत सिंह ने ट्रस्ट के उत्तर भारत के अध्यक्ष जस्सा सिंह संधू के साथ पटियाला कार्यालय में उनसे मुलाकात की और सुखविंदर सिंह के शव को भारत भेजने को कहा। जिसके बाद उन्होंने अपने निजी सचिव बलदीप सिंह चहल की देखरेख में सभी जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी की और आज सुखविंदर सिंह के शव को भारत रवाना कर दिया। उन्होंने कहा कि सुखविंदर सिंह के शव को भारत भेजने में आने वाले खर्च को भारतीय दूतावास ने वहन किया है।

सुखविंदर सिंह के गांव के सरपंच गुरप्रीत सिंह, पिता हरनेक सिंह, भाई हरप्रीत सिंह और परिवार के अन्य सदस्यों ने बताया कि सुखविंदर सिंह करीब दो साल पहले अपने घर का गुरबत उतारने के लिए मजदूर के तौर पर काम करने के लिए दुबई गया था कि एक जून को अचानक दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि जब परिवार को अचानक उनकी मौत की खबर मिली तो उनके पैरों तले से जमीन निकल आई। सुखविंदर सिंह के परिवार के सदस्य उन्होंने इस बड़ी पहल के लिए डॉ. सिंह ओबेरॉय को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके प्रयासों से परिवार को सुखविंदर की अंतिम झलक मिल पाई है।

पंजाब के अध्यक्ष सुखजिंदर सिंह हेर, जिला अध्यक्ष शीशपाल सिंह लाडी और महासचिव मनप्रीत सिंह संधू चमयारी ने कहा कि डॉ. सुखजिंदर सिंह हेर, जिला अध्यक्ष शीशपाल सिंह लाडी और महासचिव मनप्रीत सिंह संधू चमयारी पीड़ित परिवार के साथ दुख साझा करने के लिए हवाई अड्डे पर पहुंची ट्रस्ट टीम की ओर से उपस्थित थे। ओबेरॉय के प्रयासों से अब तक करीब 357 बदकिस्मत लोगों के शव उनके वारिसों को सौंपे जा चुके हैं।

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