गूजरी महला ५ ॥ मात पिता भाई सुत बंधप तिन का बलु है थोरा ॥ अनिक रंग...
Dharm
धनासरी महला ३ ॥ जो हरि सेवहि तिन बलि जाउ ॥ तिन हिरदै साचु सचा मुखि नाउ...
जैतसरी महला ४ घरु १ चउपदे ੴ सतिगुर प्रसादि ॥मेरै हीअरै रतनु नामु हरि बसिआ गुरि हाथु...
Hukamnama Sahib : धनासरी महला ५ ॥ त्रिपति भई सचु भोजनु खाइआ ॥ मनि तनि रसना नामु धिआइआ...
Hukamnama Sahib : सलोक ॥ राज कपटं रूप कपटं धन कपटं कुल गरबतह ॥ संचंति बिखिआ छलं छिद्रं...
जीवन में सुख दुख लगा रहता है, पर कई बार हमारे जावन में दुखों और चिंताओं का...