
पंजाब विधानसभा ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के मसौदे के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि यह व्यापक किसान विरोध के बाद 2020-21 में केंद्र द्वारा निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने का एक प्रयास है।
विधानसभा में सभी दलों के विधायकों ने सर्वसम्मति से इस नीति को खारिज कर दिया। नीति पर दो घंटे तक चली चर्चा के दौरान भाजपा के दो विधायक अश्विनी शर्मा और जंगी लाल महाजन मौजूद नहीं थे।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति के मसौदे को खारिज करने के लिए लाए गए प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान केंद्र की कथित किसान विरोधी नीतियों को लेकर केंद्र के खिलाफ आरोप का नेतृत्व किया।
प्रस्ताव पेश करते हुए राज्य के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने कहा, “सदन कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के मसौदे को खारिज करता है। सदन को लगता है कि यह मसौदा नीति किसानों के लंबे विरोध के बाद भारत सरकार द्वारा 2021 में निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों को वापस लाने का एक प्रयास है।”
उन्होंने कहा, “सदन का मानना है कि चूंकि यह मुद्दा राज्य का विषय है, इसलिए संविधान के अनुसार केंद्र को ऐसी कोई नीति नहीं बनानी चाहिए तथा राज्यों की चिंताओं और आवश्यकताओं के अनुसार इस विषय पर उपयुक्त नीतियां बनाने का काम राज्यों के विवेक पर छोड़ देना चाहिए।”
प्रस्ताव पर बोलते हुए सीएम मान ने कहा कि केंद्र सरकार अन्य माध्यमों से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को लागू करना चाहती है।
सीएम मान ने कहा, “चाहे ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) का मुद्दा हो या राज्य से जुड़ा कोई और मुद्दा, केंद्र पंजाब को निशाना बनाने के लिए कोई भी मुद्दा नहीं छोड़ता। इसका सबसे ताजा उदाहरण अमेरिका से भारतीयों को निकाले जाने का मुद्दा है। भले ही निकाले गए लोगों में कुछ पंजाबी भी थे, लेकिन अमेरिकी सैन्य विमानों को अमृतसर में उतारा गया ताकि केवल पंजाब का नाम खराब हो।”
नीति को खारिज करते हुए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायकों ने कहा कि कृषि विपणन पर नीति लाना, जो कि राज्य का विषय है, केंद्र का हस्तक्षेप है और संविधान की भावना के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि नीति की व्यापक भावना निजी मंडियों को बढ़ावा देना और कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) मंडियों को काफी कमजोर करना है, ताकि अंततः उन्हें अप्रासंगिक बना दिया जाए।
विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सरकार द्वारा लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे का मसौदा पंजाब के कृषि क्षेत्र के लिए घातक साबित होने वाला है और पंजाब कांग्रेस इसके खिलाफ पंजाब सरकार का समर्थन करने के लिए तैयार है।
बाजवा ने कहा, “पंजाब कांग्रेस पंजाब के हितों की रक्षा के लिए कुछ भी करेगी। हम पंजाब के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए पंजाब सरकार के साथ मिलकर लड़ने से भी नहीं कतराते।”
भाजपा को पंजाब विरोधी पार्टी करार देते हुए बाजवा ने कहा कि भाजपा पंजाब को आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर करने पर तुली हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े निगमों के हितों की सेवा करती है और किसानों तथा अन्य वंचित वर्गों के हितों के लिए काम करने की उसे कोई चिंता नहीं है।’’
बाजवा ने कहा, “भगवा पार्टी लंबे समय से कृषि क्षेत्र को कमजोर करने की साजिश कर रही है। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान कृषि पर शांता कुमार आयोग ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को खत्म करने की सिफारिश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार अभी भी उसी पर काम कर रही है।”